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लेखनी प्रतियोगिता-बेखूदी-21-Apr-2023

बेखुदी 

बड़ी मुश्किल से उबरे है उनकी बेखुदी से 
आज तुम्हारी मोहब्बत को भी आजमा लेते हैं 
दिल मैं एक बार पुनः उम्मीद जगाते हैं
आज फिर से मुहब्बत करके देखते हैं 
जिन्दगी एक बार फिर दांव पर लगाते हैं 
तुमने एक पुनः उम्मीद कि किरण दिखाई है
उम्मीद पर जग कायम है
जालिम दिल पुनः उम्मीद से जगा है 
गर इस बार उम्मीद ना पूरी हुईं
तो खुदा कसम सात जन्म न ईश्क का नाम लेंगे
मानव जाति से विश्वास उठ जायेगा
इस कायनात में जलजला आ जायेगा
प्यार का नामोनिशान मिट जायेगा
खुदा पर सब का विश्वास उठ  जायेगा
तुम्हारी मोहब्बत को भी आजमा लेते हैं ।।

✍️ विजय पोखरणा "यस"
💐💐🙏 HBU EXTN, 
AJMER (Raj)
9530399703         
Director of Modulus Academy
Committed towards excellent education and Consultant for Higher study in Abroad at renowned foreign universities and colleges 🙏💐💐

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11 Comments

madhura

23-Apr-2023 02:34 PM

osm poem sir

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Punam verma

22-Apr-2023 08:46 AM

Very nice

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VIJAY POKHARNA "यस"

22-Apr-2023 07:12 PM

🙏🙏

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Abhinav ji

22-Apr-2023 07:54 AM

Very nice 👍

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VIJAY POKHARNA "यस"

22-Apr-2023 07:12 PM

🙏🙏

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